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4 Feb 2024 · 1 min read

एक सच ……

एक सच …

एक सच
व्यथित रहा
अंतस के अनंत में
एक सच
लीन रहा
मिलन के बसंत में
एक सच
ठहर गया
दृष्टि के दिगंत में
एक सच
प्रकम्पित हुआ
आभासी कंत में
एक सच
बंदी बना
अभिलाषी कंज में
एक सच
शकुंत बना
अवसान के अंत में
एक सच
अदृश्य रहा
जीवन के प्रपंच में
एक सच
शून्य बना
अंत के अनंत में

सुशील सरना /4.2.24

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