Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Nov 2017 · 4 min read

एक रोचक कहानी ——-प्रायश्चित

प्रायश्चित
शीतकाल प्रारम्भ है, रात्रीकी चादर सुबह का सूरज धीरेधीरे समेट रही है। उसकाप्रकाश दरवाजे की झिर्रीयों से छन-छन कर अंदर होने का अहसास करा रहा है।रात भर रज़ाई से लिपटी काया श्वास का उच्छवास छोड़ती है ।बच्चे आंखे मलते हुए खाटसे उठ खड़े होते हैं। बड़े –बूढ़े दातुन मंजन आदि नित्यकर्म हेतु प्रयासरत हैं ।बच्चे भूख से बिल्लाते हुए माँ से कहते हैं कि माँ भूख लगी है । कुछ खाने को दो ,और माँ झिड़कते हुए कहती है ,जा मुह धोके आ ,दातुन कुल्ला कर के आना । उसके दो बच्चे हैं । एक दस वर्ष का मोनू दूसरा आठ वर्ष का सोनू है । मोनू और सोनू कुनमुनाते हुए मुह धोने हैंड पंप कि ओर चलते हैं । माँ के साथ –साथ बच्चो को भी मुह कि सफाई का ध्यान है ,मुह से आती बदबू मुह फेर लेने को विवश कर देती है । माँ नित्या कि भांति चूल्हा जला कर चाय –नाश्ते का इंतजाम सबके लिए करती है । सुबह के प्रथम प्रहर से शुरू हुई दिनचर्या बच्चो के स्कूल प्रस्थान से विराम लेती है । मोनू कि माँ कि तबीयत कुछ ठीक नहीं है । आज कुछ ज्यादा ही खराब है । बार –बार श्वास उखढ्ना ,जीने चढ़ने पर सांस फूलना उसे परेशान कर रहा है । उसे नजदीकी स्वास्थ केंद्र में अपने को दिखाना ही होगा । उसने निश्चय किया कि आज वह डाक्टर को दिखाएगी ,रोज –रोज की झंझटो से मुक्ति यही रास्ता है । अत :वह अस्पताल में दिखाने घर में सूचित कर के चल देती है । मोनू की माँ घर में अकेली नहीं है । उसकी सास व पति भी है । परंतु ससुर को गुजरे हुए एक अरसा बीत चुका है । पति खेतिहर है । मोनू की माँ बताती है कि वह इंटर पास है ,घर में पाँच बीघा जमीन है ,जिससे घर का गुजारा व बच्चो की शिक्षा चलती है । मोनू की माँ की विवशता है जब बच्चे कुछ बाहर की वस्तु की मांग करडालते हैं । सीमित साधन से घर का गुजारा ही बढ़ी मुश्किल से चलता है । अस्पताल में मोनू की माँ को डाक्टर ने भर्ती कर लिया । डाक्टर ने बताया खून अत्यधिक कम है अत : खून चढ़वाना पड़ेगा । पासपड़ोस –रिस्तेदारों को सूचित करो । शाम तक मोनू की माँ अपने पति के साथ अकेले ही पड़ी रही । शाम को घर के बच्चो ने माँ से मिलने की जिद की तो घरवाला उन्हे भी साथ ले आया । कुछ अन्य पड़ोसी भी साथ में आए । मोनू की माँ ने कहा डाक्टर ने खून चढ़ाने के लिए कहा है ,व्यवस्था करो । घरवाला अपने मित्र पड़ोसियो संग ब्लड बैंक जाता है । साथ में ब्लड बैंक का पर्चा व सैंपल है । ब्लड बैंक के डॉक्टर ने खून के बदले खून की मांग की । घरवाला स्तब्ध हो गया । किसी प्रकार से घर का गुजारा चल रहा है ,उसे शंका हुई खून देने से कमजोरी तो नहीं आ जाएगी । साथी पड़ोसी तो एक पल भी ना ठहर सके । रक्त का इंतजाम न हो सका था । रात्रीशनै :शनै :अपने गंतव्य की ओर अग्रसर हुई । अब मोनू की माँ के घरवाले को चिंता हुई सुबह –सुबह पुन :डाक्टर रक्त लाने के लिए कहेगा । अत :वह प्रात :काल में ही अपनी पत्नी को मरणासन्न छोड़ कर कहीं चला गया । मोनू की माँ के बगल के बेड पर एक गरीब परिवार की लड़की भर्ती थी । जिसे आज डाक्टर ने डिस्चार्ज कर दिया था ,वह अब स्वस्थ हो चुकी थी । उसका पिता अत्यंत गरीब हैसियत का था । परंतुअच्छे दिल वाला एवम बहादुर था । उससे मोनू की माँ की हालत देखी नहीं जा सकी । उसने मानवता के नाते मोनू की माँ से पूछा बहन यदि मैं रक्तदान करूँ तो आपकी जान बच सकती है । मैं यह कार्य अवश्य करूंगा ,मेरी बेटी अब स्वस्थ है । मैं रक्तदान कर आपकी जान अवश्य बचाऊंगा । भले ही आपके घरवाले या नाते रिश्तेदार मुह मोड कर चले गए हों । उस भले इंसान ने रक्तदान किया और मोनू की माँ को रक्त चढ़ाया गया । वह स्वस्थ हो गयी । उस भले इंसान को क्या पता था कि आफत अब आने वाली है । उसकी पत्नी को इस घटना कि जानकारी अपनी ही भोली बेटी से हुई । उसने बड्बड़ना शुरू कर दिया । सारे अस्पताल को सर पर उठा लिया । उसकी पत्नी का कहना था मैं बर्तन माँज कर पेट पालती हूँ । मैं सब्जी रोटी खा कर पेट पालती हूँ । मेरे पास काजू बादाम कहाँ जो मैं तुम्हारी सेवा कर सकूँ । तुम भी मेहनत मजदूरी कर के घर चलाते हो अगर तुम्हें कुछ हो गया तो । आखिर डाक्टर के समझाने पर किसी तरह उसका गुस्सा शांत हुआ । भले आदमी ने राहत कि सांस ली । वरना भलाई के बावजूद उसकी खैर नहीं थी । रक्तदान करने के पश्चात किसी भी प्रकार कि कमजोरी नहीं आती है । अत :अंजाम अच्छा होना ही था । मोनू कि माँ ने उस भले इंसान जिसने अपने जीवन के इतने पापड़ बेलकर भी उसकी जान बचाई थी ,लाख-लाख शुक्रिया अदा किया व घरवालों कि नाकाबिलियत पर कोसने के अलावा उसकेपास बचा ही क्या था
सायं प्रहर में शनै :शनै :प्रकाश की किरने धूमिल होती हुई पेड़ों की झुरमुट में खो गयी । रात स्याह हो चली थी तब उसका पति घर लौट के आया । अपनी पत्नी को सही सलामत देख कर उसके आश्चर्य का ठिकाना ना रहा । शायद वह कुछ सोच रहा था जब उसे पता चला कि उसके जैसे ही किसी गरीब ने उसकी पत्नी कि जान बचाई है । तो उसके नेत्रो से पश्चाताप के अश्रु छलक़ने लगे । उसने रुँधे गले से कहा मोनू कि माँ मुझे माफ कर दो । मैं दोबारा ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा और आवश्यकता पड़ने पर रक्तदान करके किसी कि जान अवश्य बचाऊँ । यही मेरा प्रायश्चितहोगा ।
स्वप्रस्तुति –डाप्रवीण श्रीवास्तव
सीतापुर

Language: Hindi
3 Likes · 648 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...