एक मसीहा घर में रहता है।
एक मसीहा घर में रहता है।
ज़माना जिसको पिता कहता है।।1।।
सारे दुख ही वह सहता है।
पिता परिवार के विघ्न हरता है।।2।।
ईश्वर तुल्य चरित्र उसका है।
जीवन भर पुत्रों को बस देता है।।3।।
इस जीवन के कुचक्र में वो।
अपना सबकुछ अर्पण करता है।।4।।
यूं पिता प्रफुल्लित होता है।
पुत्रों में उसका दर्पण दिखता है।।5।।
थोडी-बहुत सख्ती करता है।
यूं पुत्र पिता के अदब में रहता है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ