एक निर्भीक सच
एक सच
अपने पैने नाखून के साथ
झूठ की ओर
बढ़ता हुआ
और उससे बचने के लिए
समवेत होता झूठ
डैने फड़फड़ाता
कभी घेरता
कभी भागने को आतुर
किन्तु कदम-दर-कदम
झूठ का हुजूम
छल छद्म और नए-नए उपक्रम
आखिर घिरा हुआ अभिमन्यु-सा
लहुलुहान सच
कितना निर्भीक ।
-अशोक सोनी
9406027423