एक नया उद्घोष
एक नया उद्घोष
मैं गर्वित हूं मेरा जन्म
इस पुण्य धरा भारतवर्ष में हुआ
सभ्यता,संस्कृति और कला का जहां
पहले पहल उद्भव हुआ
धर्म और विज्ञान की संस्कृति
तुझको बारंबार मेरा नमन है
देवों,ऋषियों और तपस्वियों की भूमि का
चरण छूकर अभिनंदन है
सभ्यता और संस्कृति के जिन
मानदंडों को तुमने ऊंचा रखा है
उस पावस और पावन भूमि को
मेरा सादर सादर नमन है
दुनिया के सारे विषय तो जैसे
तेरे गर्भ में ही तो जन्मे हैं
क्या ज्योतिष क्या गणित, चिकित्सा
तुझसे ही पोषित होकर बढ़े हैं
पाराशर और जैमिनी का ज्योतिष
जो समाज के लिए वरदान है
वाराह्मिहीर और आर्यभट्ट ने उसे
जन-जन को सुलभ कराया है
चिकित्सा जगत की महारथ भी
आज किसी से छुपी नहीं है
चरक सुश्रुत और वांगभट्ट के कार्यों
को दुनिया भूली नहीं है
ध्यान और योग की गंगा जब से
विश्व में हमने बहाई है
पतंजलि के आदर्शो पर चलकर
आध्यात्मिक ऊंचाईयां पाई हैं
आज चांद पर पहुंचकर हमने
विश्व को एकता का संदेश दिया है
मानवता के लिए काम करने का
एक नया उद्घोष दिया है
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
9425822488