Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2023 · 1 min read

*एक दिवस सब्जी मंडी में (बाल कविता)*

एक दिवस सब्जी मंडी में (बाल कविता)
————————————————–
एक दिवस सब्जी मंडी में
जमकर छिड़ी लड़ाई,
आलू करने लगा जोर से
अपनी आप बड़ाई।

बोला मैं हरफनमौला हूँ
सब्जी मिक्स बनाता,
मेरे बिना न खाना कोई
कैसा भी बन पाता।

मुरझा गए बात को सुनकर
भिंडी और करेला ,
लौकी बैंगन लगे देखने
दाँए बाँए ठेला।

तब कद्दू ने आकर
सबका ही उत्साह बढ़ाया,
उठा हाथ से आलू को
ऊपर की तरफ चढ़ाया ।

बोला ज्यादा आलू राजा
जी घमंड मत करना,
तुम हो डायबिटीज बढ़ाते
करनी से कुछ डरना ।

खुद तो मोटे आलू हो
सबको मोटा करते हो,
जो तुमको ज्यादा खाता
सब सुंदरता हरते हो।

सुनकर कद्दू की लताड़
आलू भागा बेचारा ,
बोला लौकी और करेला
तुम जीतीं मैं हारा।।
————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451

138 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
Ravikesh Jha
मुक़द्दर में लिखे जख्म कभी भी नही सूखते
मुक़द्दर में लिखे जख्म कभी भी नही सूखते
Dr Manju Saini
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Sakshi Tripathi
पिता का गीत
पिता का गीत
Suryakant Dwivedi
■ कविता / कथित अमृतकल में...
■ कविता / कथित अमृतकल में...
*Author प्रणय प्रभात*
রাধা মানে ভালোবাসা
রাধা মানে ভালোবাসা
Arghyadeep Chakraborty
💐प्रेम कौतुक-276💐
💐प्रेम कौतुक-276💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
** अरमान से पहले **
** अरमान से पहले **
surenderpal vaidya
2851.*पूर्णिका*
2851.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धूल से ही उत्सव हैं,
धूल से ही उत्सव हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
स्वयं को स्वयं पर
स्वयं को स्वयं पर
Dr fauzia Naseem shad
Rap song 【4】 - पटना तुम घुमाया
Rap song 【4】 - पटना तुम घुमाया
Nishant prakhar
महाशक्तियों के संघर्ष से उत्पन्न संभावित परिस्थियों के पक्ष एवं विपक्ष में तर्कों का विश्लेषण
महाशक्तियों के संघर्ष से उत्पन्न संभावित परिस्थियों के पक्ष एवं विपक्ष में तर्कों का विश्लेषण
Shyam Sundar Subramanian
हौसले से जग जीतता रहा
हौसले से जग जीतता रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कामयाबी का जाम।
कामयाबी का जाम।
Rj Anand Prajapati
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
Atul "Krishn"
मन की किताब
मन की किताब
Neeraj Agarwal
डाई वाले बाल (हास्य कुंडलिया)
डाई वाले बाल (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
ঐটা সত্য
ঐটা সত্য
Otteri Selvakumar
आईना ही बता पाए
आईना ही बता पाए
goutam shaw
औलाद
औलाद
Surinder blackpen
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
आजा रे अपने देश को
आजा रे अपने देश को
gurudeenverma198
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
छू लेगा बुलंदी को तेरा वजूद अगर तुझमे जिंदा है
छू लेगा बुलंदी को तेरा वजूद अगर तुझमे जिंदा है
'अशांत' शेखर
चलना सिखाया आपने
चलना सिखाया आपने
लक्ष्मी सिंह
तेरे लहजे पर यह कोरी किताब कुछ तो है |
तेरे लहजे पर यह कोरी किताब कुछ तो है |
कवि दीपक बवेजा
लगी राम धुन हिया को
लगी राम धुन हिया को
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
manjula chauhan
Loading...