एक टूटे हुए दर्पण के टुकड़ों में
जो चले गये
यह दुनिया छोड़कर
उन्हें मैं खुद में
जिन्दा कैसे रखूं
एक टूटे हुए दर्पण के
टुकड़ों में
मुझे अपने चेहरे दिख रहे
बेहिसाब
मैं खुद को न देख
अपनी जगह उन्हें कैसे
देखूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001