एक घर चाहिए मुझे
एक घर चाहिए मुझे
जो ईंट पत्थर से नहीं
बना हो प्रेम जज्बात से,
लड़ाई न कोई फसाद हो
एकता एवं शांति बिरजते हो,
जहाँ नारी-पुरुष छोटे-बड़े
सब एक समान हो और
ऊँच-नीच का कोई भेदभाव न हो,
सबको मान-सम्मान मिले
हक सबको बराबर की मिले,
अधिकार से कोई न हो वंचित
न्याय के लिए कोई न हो चिंतित,
जहाँ पंछी गाए आशा की गीत
हरेक सुबह लेती मन को जीत,
किसीको कुछ भी मालूम हो
ऐसे घर के बारे में अगर ,
देना मुझे तुम फौरन खबर,
राजमहल नहीं ऊँची ईमारत नहीं
सुकून मिले जहाँ दो घड़ी,
वैसा एक जगह चाहिए मुझे
रहने के लिए ठीक वैसा ही
एक घर चाहिए मुझे
हाँ!एक घर चाहिए मुझे ।