एक कदम चल जरा
तू चल तो एक कदम जरा,
पेड़ नहीं तू जो जगह बढा.
ठहर न तू बस एक जगहा.
सड़ जायेगा,ठहरे नीर तरहा.
तू चल तो एक कदम जरा.
बन जायेगा एक दिन कारवां,
ऐसे ना थक हार कर करहा.
उठ खडे हो, दो वक्त टूक खा.
पग पग पर खडी है आपदा.
मस्तिष्क से निकाल,काम जरा.
पुकार ले उसे,जिसे सब है पता.
हुआ है पार वही,जिसे अतापता.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस