*** एक आव्हान : प्रकृति की ….! **
* एक पेड़ लगा कर तो देख….!,
” ओ एक से अनेक हो जायेगा ,
बारिश बहुत कर जायेगा ।
चट्टानों में हरियाली नज़र आयेगा ,
बंजर में भी फसल लहलहायेगा ।
सुखा तरिया-तालाब भर जायेगा ,
नदी-नालों में भी सदा जल -धारा पायेगा ।
नेक-अनेक खुशियां जीवन में आ जायेगा।।”
** एक पेड़ लगा कर तो देख….! ,
” ओ एक से अनेक हो जायेगा ,
पर्यावरण सुंदर-स्वच्छ हो जायेगा।
धरती में भी तपन कम हो जायेगा ,
वैश्विक-उष्णता से निजात मिल जायेगा।
सागरीय तल अपनी सीमा में रह जायेगा ,
प्रकृति भी अनुकूलित हो जायेगा । ”
*** पेड़ एक लगा कर तो देख…..! ,
” ओ एक से अनेक हो जायेगा ,
हरियाली से धरती स्वर्ग बन जायेगा ।
पशु को आवास , पंछी को घोंसला ,
और पंथी को छाया भी मिल जायेगा ;
कलरव करती पंछी प्यारी ,
ऊषाकाल सबको जगा जायेगा।
और आलस्यता भी दूर भग जायेगा।।”
**** पेड़ एक लगा कर तो देख ….! ,
” ओ एक से अनेक हो जायेगा ,
मलयगिर शीतल पवन बहायेगा।
मुक्त में आक्सीजन भी दे जायेगा,
अपने ” लाल ” को चंदन-तिलक
लगायेगा ।
हर जगह संजीवनी -बूटी मिल जायेगा ,
मूर्च्छित लक्ष्मण जैसा भाई जीवित हो
जायेगा ।
अतुल्य चिकित्सा का वरदान….!
” आयुर्वेद ” भी संपन्न हो जायेगा।।”
***** ओ पेड़ एक नहीं लगायेगा तो…..! ,
” एक से अनेक पेड़ कट जायेगा ,
प्रकृति में असंतुलन आ जायेगा।
बिन पानी तरस जायेगा ,
ऊसर (उपजाऊ) भूमि बंजर हो
जायेगा ।
हर ओ गांव-शहर , अस्थी-पंजर से शमशान
ही शमशान नजर आयेगा ,
चंदन नहीं बबुल लकड़ी भी नहीं मिल
पायेगा।
धरातल में तपन और बढ़ जायेगा।। ”
फिर ….!
” कोई विकल्प ‘ जीवन का ‘ नहीं मिल पायेगा ,
” मनु ” का ( प्रथम मानव) अंश मिट जायेगा।
और प्रकृति में कभी संतुलन नहीं आयेगा।।
और प्रकृति में कभी संतुलन नहीं आयेगा ।।।
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बी पी पटेल
बिलासपुर ( छ . ग . )