एकमात्र अव्यवस्थित प्राणी
संपूर्ण सृष्टि के जीव
प्राणी जरायुज अण्डज उष्मज
सब प्राकृतिक व्यवस्थाएं बैठा लेते है.
आदमी के अलावा.
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पक्षी अस्थाई घौंसले बनाते है,
अण्डे देकर सेंचन के लिए…
पक्षी बन उड गये, घौंसले व्यर्थ.
आदमी इतने अव्यवस्थित,
जिनके काम प्रभु करते हैं,
वह खुद नहीं कर सकते हैं.
उसके विचार निर्णय समझ
उसके राह में रोडा, चक्रव्यूह.
मकडी भी मकडजाल से वाकिफ.
मनुष्य फंस गये
अपने ही बनाये जाल में
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस