उड़ान
…..उड़ान…..
जिंदगी की ऊंचाइयों को
छू कर तो देख
कुछ ख्वाब हसीं मिलेंगे
तू उड़ कर तो देख
यह अच्छा है
तू जुड़ा है जमीन से
पर अपनी अधूरी हसरतों की खातिर
कभी उड़ कर तो देख
जरुरी है इत्मीनान जीवन में
पर कितनी खुशनुमा है जिंदगी
अपने दायरे से बाहर
कभी तू निकल कर तो देख
यह सुबह और शाम, रात और दिन
सब बंधें है नियम से
एक घटा बादल की माफ़िक
तू कभी बरस के तो देख
पाया जीवन, सब कुछ जीवन में
उस प्रभु की बदौलत
कर उसका धन्यवाद,
कभी उसको समर्पित तू हो कर तो देख
जिंदगी की ऊँचाइयों को छू कर तो देख
कुछ ख्वाब हसीं मिलेंगे तू उड़ कर तो देख
…विनोद चड्ढा…