** उस वेवफा से क्या कहें **
उस वेवफा से क्या कहें
हाल -ए -दिल अपना
जिसे हाल-ए-दिल
खुद अपना पता नहीं
मिलती थी खुद जिद से
अपनी मुझसे आज क्या
हुआ उसको पता नहीं
रोती थी सिसकियाँ लेके
मेरे कन्धों के सहारे
आज मुझको बेसहारा
कब कर गई पता नहीं
खुद रोने को दो कन्धे
ओर चुन लिए और
ये भी ना सोचा उसने
मेरा….
हाल-ए-दिल क्या होगा
उसने अपनी वेवफाई
इतनी वफ़ा से निभाई
कभी मिलते भी तो
अजनबी की तरह
जैसे …………….
.
मेरा उसे पता नहीं
मैं ग़म की सुई
से फ़टेदिल को
सीना चाहता हूँ
पैबन्द लगाऊं कहाँ
मुझे इसका पता नही ।।
?मधुप बैरागी