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19 May 2023 · 1 min read

उस पार

सिलसिला तूफानों का
खड़ा पहाड़ अरमानों का
टूटता दिल पतवारों का
शाम ढले पूछना सदी के
कौन उतरेगा उस पार नदी के।

भंवर का भंवर से झगड़ना
किश्तियों का खुद ही पलटना
भूली दिशाऐं खोई रोशनियाँ
मानचित्र डूबे तल में नदी के
कौन उतरेगा उस पार नदी के।

टूटा काफिला बिछड़ते साथी
उभरती दोपहर घिरता अंधेरा
उलझ रहे हैं पाल मश्तूल के
फूल पूछ रहें हैं राह कली से
कौन उतरेगा उस पार नदी के।

छूटा तट अब खोया किनारा
चरैवेति चरैवेति में बेबस पतवार
मालूम नहीं लहरें साहिल को
मांझी दिशा पूछती किश्ती से
कौन उतरेगा उस पार नदी के।
-✍श्रीधर.

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