*उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे (हास्य व्यंग्य)*
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे (हास्य व्यंग्य)
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मैंने देखा कि चोर हाथ में हथकड़ी लगाए हुए मजे से बैठकर मूंगफली खा रहा था। कोतवाल उसकी रस्सी जरूर पकड़े हुए था लेकिन दुखी कोतवाल ही दिख रहा था।
चोर डांट रहा था -“क्यों बे कोतवाल ! दो टके की मामूली – सी सरकारी नौकरी करने वाला ! जितने रुपयों में तेरा साल भर का खर्चा चलता है ,उतने रुपए तो हम चार दिन में किसी होटल में जाकर फूँक देते हैं । तेरी इतनी हिम्मत कि तूने हमें हाथ लगाया।”
कोतवाल ईमानदार था , यह उसकी गलती थी । उसने रिश्वत खा कर चोर को नहीं छोड़ा ,यह जिंदगी में सबसे बड़ा पाप उसने किया था । वह बेचारा पढ़ने-लिखने वाला आदमी था । किताबों में लिखा हुआ था कि सच बोलो, पैसे का लोभ मत करो, ईमानदारी से देश की सेवा करो ! यह सारी पढ़ाई ही आज कोतवाल के गले में पत्थर का बोझ बनकर लटकी हुई है । अब उल्टा चोर उस को डाँट रहा है कि मैं निर्दोष आदमी था । सच्चा था ,कम उम्र का बच्चा था । इसने भ्रष्टाचारी नीयत से मुझे पकड़ लिया । चाहता था कि मोटी रिश्वत पाऊँ। जब नहीं मिली तो ईमानदारी का ढोंग रच रहा है ।
चोर के मौसा जी सबसे ज्यादा फनफना रहे हैं । रोजाना एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और कोतवाल को बुरा-भला जरूर कहते हैं । चोर के मामा जी भी नारेबाजी में पीछे नहीं है । वह भी कोतवाल हाय-हाय के नारे सुबह से शाम तक लगाते रहते हैं । चोर के ताऊ ,चाचा ,चचेरे भाई ,दूर के रिश्ते के भाई-बहन सब कोतवाल के खिलाफ हैं । इस समय सबसे बुरा आदमी अगर चोरों की निगाह में कोई है तो वह कोतवाल है ।
चोर एंड कंपनी के अगर बस में हो तो कोतवाल को कच्चा चबा जाए । मगर कल या परसों तक यह काम भी जरूर होगा । आखिर सरकारी विभाग में छोटे- से वेतनमान पर नौकरी करने वाला मामूली – सा कोतवाल करोड़ों अरबों में खेलने वाले चोर के सामने भला कितने दिन टिकेगा ? चोर की पहुँच बहुत दूर-दूर तक है । एमएलए ,एमपी सब उसके दाएं बाएं घूमते हैं । सब लोग कोतवाल को आकर बुरा-भला कह रहे हैं ।
क्यों बे तुझे रिश्वत दी जा रही थी ,तूने क्यों नहीं ली ? अब चोरबंधु ! तुझे इतनी बुरी तरह फँसवाएँगे और जेल में भिजवाएंगे कि हर ईमानदार अधिकारी ईमानदारी के पथ पर आगे बढ़ने से पहले सौ बार सोचेगा । हम तथा हमारे चोर-भाइयों के बीच में रोड़ा कोई नहीं अटका पाएगा । चोरों का इस समय एक गैंग बना हुआ है । सारे चोर इकट्ठा होकर अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए कमर कसकर तैयार हैं । कहते हैं कि इस कोतवाल को जेल पहुंचा कर ही दम लेंगे अन्यथा लोगों को यह भ्रम हो जाएगा कि अब कलयुग समाप्त हो गया है तथा सतयुग का आगमन हो चुका है । जबकि स्थिति यह है कि चोर-युग अभी सैकड़ों वर्षो तक अपनी पूरी शान के साथ चलेगा और कोतवाल – युग किसी भी हालत में नहीं आने दिया जाएगा।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451