– उलझी हुई है जिंदगी मेरी पर सुलझा हुआ हु में –
– उलझी हुई है जिंदगी मेरी पर सुलझा हुआ हु में –
उलझा हुई है जिंदगी मेरी पर सुलझा हुआ हु में,
जीवन की जिजीविषाओ से भरा हुआ हु में,
कठिनाइयों भरे जीवन से लदा हुआ हु में,
पीड़ाओं के पहाड़ से ढका हुआ हु में,
वेदनाओ की विकटताओ से भरा हुआ हु में,
कुंठाओ के प्रहार से दबा हुआ हु में,
इतनी सारी पीड़ाओं से भी लड़ा हुआ हु में,
लड़कर भी कर्तव्य पथ पर डटा हुआ हु में,
हारा नही कभी में ना ही उम्मीद हारी है मेने,
उलझी हुई है जिंदगी मेरी पर सुलझा हुआ हु में,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान,
संपर्क सूत्र -7742016184 –