उम्र गुजरी तो ख़ुदा याद आया
…उम्र गुजरी तो खुदा याद आया…
उम्र सारी जोड़ता रहा, हसरतों का सिला
उम्र गुजरी जो उस मोड़ से तो ख़ुदा याद आया
करता रहा जी तोड़ मेहनत
और जोड़ता रहा धन दौलत
करता रहा उम्र भर नफे नुकसान का हिसाब
उम्र गुजरी जो उस मोड़ से तो खुदा याद आया
क्या खोया क्या पाया
धर्म के मार्ग पर कितना चल पाया
दान पुण्य का हिसाब जोड़ा तो खाली पाया
उम्र गुजरी जो उस मोड़ से तो खुदा याद आया
जी लिये जिंदगी कश्मकश में यूँ ही
दीन दुनिया में हर वक्त खुद को घिरा पाया
बीती जिंदगी, आगे देखा तो समय कम पाया
उम्र गुजरी जो उस मोड़ से तो खुदा याद आया
जो गुज़र गया उस भूल जा
बीता समय कौन पकड़ पाया
अब भी लगा ले मन प्रभु से, करले कुछ भलाई
कहीं ऐसा न हो अंतिम समय कुछ हाथ न आया
उम्र सारी जोड़ता रहा , हसरतों का सिला
उम्र गुजरी जो उस मोड़ से तो खुदा याद आया
…विनोद चड्ढा…