उम्र की झुर्रियां चेहरे पे झलक जाती हैं
छलकता जा रहा हैं वो जाम अब
खुशियां मयखाने में मिला करते हैं
उम्र की झुर्रियां चहरे पे झलक जाती हैं
लोग फिर भी यहाँ जवान हुआ करते हैं
दिन में जो ना कभी इक बार दिखा करते हैं
वो हमें ख्वाब में हर रोज़ मिला करते हैं
देख कर अपने ही हाल पर खुद रोना आया
देखते ही तुम्हे सारे गम भुला दिया करते हैं
तेरा मिलना और यूँ मिल कर बिछड़ जाना
इन अदाओं पे ही हम फ़िदा हुआ करते हैं
भुला दिया उसको वो बेवफा जो ठहरे
लोगो से प्यार करके जो दगा करते हैं
वो इठलाना बलखाना शर्माना तेरा
सरे राह यूँ बदनाम हुआ करते हैं
कोई तुझे देख कर होश गंवा दिया करते हैं
कोई तुझे लिख कर यादो में ही जिया करते हैं
मुकद्दर से जो वो कँही दिखा करते हैं
खुदा से हम मिलने की दुआ करते हैं।।
®आकिब जावेद