उपन्यास -कहर
राम सिंह और अनुज कुमार कई साल के बाद आज अपने गाँव के पुराने पिपल के छाँव के ईट से बने चौबारे पर मिले !राम सिंह उम्र लगभग इक्कीस या बाईस बष रहा होगी ! मलमल राजा दानी सिंह का छोटा लडका है ! अनुज
के हरि राम का प्यारा लड़का और राम सिंह का दिली दोस्त, बड़ा चालाक और फुर्तीला, कमर में सिर्फ खंजर बांधे, बगल में बटुआ लटकाये, हाथ में एक कमन्द लिए बड़ी तेजी के साथ चारों तरफ देखता और इनसे बातें करता जाता है। इन दोनों के सामने कसाकसाया चुस्त-दुरूस्त एक घोड़ा पेड़ से बंधा हुआ है।
राम सिंह पुरानी विचार धारा, छोटी जात भेदवाव छुआ छूत को नहीं मानता है ! राम सिंह
बेरिया राजकुमारी से बहुत प्यार करता है जो आज कल बहुत ही रोती है क्योकि सदियों दुशमनी को मोहन सिंह और उनके तीन दोस्त ने आज राजा भवानी सिंह को सारी कहानी मालुम कर दी! पुरानी आग फिर मौत कहर हरी होने वाली है । अब भवानी सिंह अपनी माँ और पिता याद करकें राने लगे ।
मेरे द्रारा लिखे मगही उपन्यास कहर के कुछ अंश जिसे हिन्दी अनुवाद मे आपके सामने रखता हूँ जो जल्दी प्रकाशित होगी