कान्हा तुम वापस आ जाओ
उद्धव हमको मत समझाओ,
नहीं ज्ञान का पाठ पढ़ाओ ।
बस तुम ये संदेश हमारा ,
जाकर कान्हा तक पहुँचाओ।
कान्हा तुम वापस आ जाओ।
कान्हा तुम वापस आ जाओ ।…..
सूने सूने हैं यमुना तट ,
सूनी सूनी ब्रज की गलियाँ,
भरी उदासी है कण कण में,
भूल गई हैं खिलना कलियाँ
प्राण फूंक दो जन जीवन में,
बंसी की आ तान सुनाओ ।
कान्हा तुम वापस आ जाओ।
कान्हा तुम वापस आ जाओ ।…….
दूध न देती गैया मोहन,
भूल गईं है ये रंभाना ।
नन्द यशोदा का भी मुश्किल,
है शब्दों में हाल बताना।
दर्शन की प्यासी हैं अँखियाँ ,
और नहीं इनको तड़पाओ।
कान्हा तुम वापस आ जाओ।
कान्हा तुम वापस आ जाओ ।…..
याद तुम्हारा आता मोहन ,
चोरी चोरी माखन खाना
कभी मारना कंकड़ियों से ,
कभी हमारे वस्त्र छुपाना।
व्याकुल हैं ये गोप- गोपियाँ,
कान्हा सबको मत बिसराओ ।
कान्हा तुम वापस आ जाओ।
कान्हा तुम वापस आ जाओ ।……
27-08-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद