उतरो सड़क पर
कब तक बचोगे!
कहां तक बचोगे!!
तुम अपने वक़्त की
तल्ख सच्चाइयों से!!
कभी न कभी तो
टकराओगे ही!
इस लंबे सफ़र में
कुछ रुसवाइयों से!!
मानवता की चीखें
क्या अनसुनी रहेंगी
आगे गूंजती हुई
इन शहनाइयों के!
अपने देश के लिए
उतरो सड़क पर
खेलना छोड़कर
ऐसे तन्हाइयों से!!
Shekhar Chandra Mitra