*उठो निज जाति से ऊपर, मनुजता धर्म बन जाए (मुक्तक)*
उठो निज जाति से ऊपर, मनुजता धर्म बन जाए (मुक्तक)
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उठो निज जाति से ऊपर, मनुजता धर्म बन जाए
खरी पहचान मानव की, जगत में कर्म बन जाए
न रखना बॉंधकर खुद को, किसी भी क्षुद्र घेरे में
सहज संवेदना मन की, सुरभिमय मर्म बन जाए
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451