उजाड़ जीवन
दिनवा बीतत नाहीं
रतिया कटत नाहीं
पता ना काहे कहीं
जियरा लागत नाहीं…
(१)
ना तअ कवनो राही
ना ही कवनो साथी
कहां जाईं-का करीं
रहिया सुझत नाहीं…
(२)
छूप गईल चानवा
करिया बदरवा में
दूर-दूर ले कवनो
दीअवो दिखत नाहीं…
(३)
जीवन ई खाली लागे
माहूर के प्याली लागे
शेखरा के रोगवा
केहू जे बूझत नाहीं…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)