*”ईद का चाँद”*
“ईद का चाँद”
वो अजान की अंतर्नाद ध्वनियाँ जब कानों में गूंजती ,
पांचों वक्त का रोजा रमजान नमाज अदा करते।
नेक बंदे इबादत कर अल्लाह का शुक्रगुजार करते।
भूखे प्यासे रहकर रोजा इफ्तार कर नियम अनुशासन से पालन करते।
रिश्तों की कड़ी जोड़, नफरतों की दीवार तोड़कर भाईचारा निभाते।
रजा मुराद पूरी हो ,ख्वाहिशें पूर्ण हो सुहानी चाँदनी रातों में चाँद का दीदार करते।
ईद उल फितर में नए कपड़े सफेद टोपी पहने एक दूजे से गले मिलते।
ईद का चाँद जब नजर आ जाये तो सारे सवालों का जवाब हैं मिल जाते।
बदलता इंसान समयानुसार खुदा के हजारों रूप एक में ही मिल जाते।
झलकता वो चेहरे का नूर तमन्नाओं को पूरा कर ईद के चाँद आंखों से बयां करते।
मीठी सेवईयां खाकर मुँह मीठा कर ,ईद मुबारक ईद की रस्में निभाते।
चाँद सा रोशन जहान में कुछ नहीं ,वो भीगीं आंखों से बयां कर जाते।
दुआएँ कबूल हो गुलशन सितारों में ,आसमान से अल्लाह पैगाम दे जाते।
बैर कटुता भुलाकर एक दूसरे से गले लगा ईद मुबारक करते जाते।
रूहानी ताकत वो चाँद की चमक मस्जिद का संवरना देखते ही रह जाते।
रोजा रमजान कर मन्नतें मांगी जो कबूल हो रोशन सितारा देख खैरियत माँगते।
जन्नत के द्वार खोलकर हज करने का,पुण्य लाभ उठाते।
अल्लाह सबकी मन्नत पूरी करते,
हर दुआएँ कबूल हो अल्लाह का शुक्रगुजार आमीन करते ।
“ईद की हार्दिक शुभकामनाएं”