इस ज़माने के लिये किरदार को अच्छा करो
इस ज़माने के लिये किरदार को अच्छा करो
कुछ सिखाओ और कुछ दुनिया से भी सीखा करो
चुप ही रहकर बोलते हैं लोग क्या देखा करो
और मौक़ा भी सही हो तब ही कुछ बोला करो
दूसरों की जंग से लेना कभी मत फ़ायदा
किस तरह से हो लड़ाई बंद ये सोचा करो
लोग बेशक़ चल रहे हैं चाल धोखे की सभी
दूसरों का तुम भरोसा मत कभी तोड़ा करो
राहतें इनको मिलें आसान सी हो ज़िन्दगी
इन ग़रीबों के लिये भी काम कुछ ऐसा करो
यूँ अचानक से हुये गुस्सा नहीं है ठीक ये
शांत रहकर बात को पहले सदा तोला करो
कह रहा हो ज़ह्’न कुछ दिल में भरे जज़्बात हों
हो सदारत दिल की ही तुम फ़ैसला ऐसा करो
गुल भी महकें हों बहारें प्यार भी खिलता रहे
ज़िन्दगी आगे बढ़ेगी ये मिशन अपना करो
बाँध लो ‘आनन्द’ गिरह याद रक्खो ये सदा
प्यार ही चाबी है हर इक बात की समझा करो
– डॉ आनन्द किशोर