Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2016 · 2 min read

इस प्यार को क्या नाम दूं ?

देख के मेरी कनौतियों की सफेदी नजर अंदाज करती है
मेरी खुशनुमा सी ज़िन्दगी मेरे साथ साथ चलती है
मेरे गालों पर पड़ती झाइयों की वो बड़ी फिक्र करती है
ज़माने से बेपरवाह मेरी ज़िन्दगी मुझे पसंद करती है
वो कहती है उसे मुछों वाले लोग बिलकुल पसंद नहीं है
मेरी सिंघमनुमा मूछों में उसे मेरी छवि अच्छी लगती है
देखती है मेरी बढ़ी हुई दाढ़ी और उसमे झांकती सफेदी
कहती है ज़िन्दगी ये मुई बिलकुल अच्छी नहीं लगती है
मैं जब भी उदास होता हूँ मेरी चाँद के उड़ते बाल देखकर
अच्छे तो लगते हो कहकर मेरी ज़िन्दगी मेरे साथ हंसती है
देखती है वो मुझे सोच में डूबा तो मुझे छेड़ती है मुस्कुरा के
कहती है ज़िन्दगी तुम्हारी उदासी मुझे बहुत उदास करती है
जब भी कहता हूँ उसको मैं तेरे लिए कुछ भी तो नहीं कर पाता
मेरी ज़िन्दगी कहती है तेरे साथ मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है |
मुझसे लडती है झगडती है कभी कभी बात भी तो नहीं करती है
फिर भी मुझे पता है मेरी ज़िन्दगी मुझसे बहुत प्यार करती है
उसके पास शिकायतों का पुलिंदा है जो सम्हाला है उसने मन में
फिर भी मेरी ज़िन्दगी मुझसे कभी कोई शिकायत नहीं करती है
कभी कभी रोना चाहती है फूट फूटकर मेरे कांधो पर सर रखकर
मेरा मन दुखित न हो मेरी ज़िन्दगी अपने आँसू रोक कर रखती है
फरमाईशों की एक पोटली वो अपने दिल के कोने में छुपाये है
फिर भी मेरी ज़िन्दगी कभी मुझसे कोई फरमाइश नहीं करती है
विश्वास करती है वो मेरे प्रयासों पर कभी ऊँगली नहीं उठाती
एक दिन उसके सपने पूरे करूँगा मेरी ज़िन्दगी यकीन करती है

“सन्दीप कुमार”

Language: Hindi
4 Comments · 461 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
करते हो क्यों प्यार अब हमसे तुम
करते हो क्यों प्यार अब हमसे तुम
gurudeenverma198
रमेशराज के विरोधरस के गीत
रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
मर्यादापुरुषोतम श्री राम
मर्यादापुरुषोतम श्री राम
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
शिल्पी सिंह बघेल
*आई वर्षा खिल उठा ,धरती का हर अंग(कुंडलिया)*
*आई वर्षा खिल उठा ,धरती का हर अंग(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
राह बनाएं काट पहाड़
राह बनाएं काट पहाड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Dr.Priya Soni Khare
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
"शाम की प्रतीक्षा में"
Ekta chitrangini
बदनाम शराब
बदनाम शराब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,
भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,
Buddha Prakash
सर्दियों की धूप
सर्दियों की धूप
Vandna Thakur
क्या है नारी?
क्या है नारी?
Manu Vashistha
!! मन रखिये !!
!! मन रखिये !!
Chunnu Lal Gupta
शुक्रिया कोरोना
शुक्रिया कोरोना
Dr. Pradeep Kumar Sharma
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
धर्म नहीं, विज्ञान चाहिए
धर्म नहीं, विज्ञान चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
ऐसा लगता है कि शोक सभा में, नकली आँसू बहा रहे हैं
ऐसा लगता है कि शोक सभा में, नकली आँसू बहा रहे हैं
Shweta Soni
"स्वतंत्रता दिवस"
Slok maurya "umang"
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
surenderpal vaidya
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ले चल मुझे उस पार
ले चल मुझे उस पार
Satish Srijan
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
पूर्वार्थ
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा  है मैंने
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा है मैंने
शिव प्रताप लोधी
नदियां
नदियां
manjula chauhan
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ब्याहता
ब्याहता
Dr. Kishan tandon kranti
वाह रे मेरे समाज
वाह रे मेरे समाज
Dr Manju Saini
करके कोई साजिश गिराने के लिए आया
करके कोई साजिश गिराने के लिए आया
कवि दीपक बवेजा
" खुशी में डूब जाते हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Loading...