इस धरा को
गीतिका
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इस धरा को प्यार करना हैं हमें।
हर हृदय यह भाव भरना है हमें।
हर तरह यह स्वच्छ निर्मल ही रहे।
आचरण में धैर्य धरना है हमें।
देखिए इसका हुआ दोहन बहुत।
फिर तमस से क्यों गुजरना हैं हमें।
जागरुक संतान बनकर आज ही।
मातृ-भू का कष्ट हरना है हमें।
प्राण से बढ़कर सभी को चाहती।
साथ माता के निखरना है हमें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य