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7 Dec 2021 · 1 min read

इस दुनिया में गर रहना है तो

पल पल
जिन्दगी बदलती तो है पर
उसका लेखा जोखा रखने का
समय किसके पास है
कहानियां तो अनगिनत हो
सकती हैं
हो क्या सकती हैं
होती ही हैं पर
उन्हें सुनेगा कौन
मुंह भी खोला कभी भूले से तो
कोई सुनता नहीं तुम्हारे
दर्द
बस मुस्कुराते रहो
जो जैसा चाहे
उसके हिसाब से
वैसे वैसे उसके काम आते रहो
सबको खुश करते रहो
सबकी हां में हां मिलाते रहो
अपने दुखों की चितायें
एक एक करके
तुम भीतर ही भीतर
जलाते रहो
अंदर से रोते रहो
ऊपर से हंसते रहो
रोता हुआ चेहरा तो
दर्पण को भी कभी न
दिखाओ
वह भी फिर एक दिन मुस्कुराना छोड़ देगा
एक एक करके सबका
साथ छूटेगा और
फिर एक दिन तुम्हारा
तुमसे भी
इस दुनिया में गर
रहना है तो
इसके हिसाब से ही जीते
जाओ
कुछ अपने मन का करना
चाहते भी हो गर तो
अपने मन के भीतर
जितनी चाहो
अपने मुताबिक दुनियायें
बसाओ
उसमें हंस लो
रो लो
और चाहो तो
एक खिलाड़ी तो
कभी एक अनाड़ी तो
कभी एक साधारण तो
कभी एक असामान्य तो
कभी एक पागल आदमी की
तरह जोर जोर से चिल्लाओ।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
195 Views
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