इस दीपावली
ताश की एक गड्डी में
बावन पत्तों के साथ
जोकर कहे जाने वाले दो पत्ते
भाग्यवानों के लगते हैं हाथ
पत्ते परोसे जाने पर ….
रंगमंच की चौपड़ पर
गड्डी से खेलने वालों का रुख
जोकर खीचने का होता है
उस पर निर्भर रहे दुख दुख
प्राय: दीवाली पर घर घर….
चौपन पत्तों की चौपन वर्षीय वय
बिना जोकर के खेली गई
इस दीपावली जोकरों की उम्मीद के साथ
खेली जाए बाजी नई
नहीं चाहता बैठाना मन में डर ….
प्रश्न उठता है बिना जोकर
जीतने पर मैँ क्या कहूँ
लक्ष्मी माँ की कृपा ?
या चुप रहूँ
जैसे चुप रहा था हार कर….