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9 Jun 2022 · 1 min read

इस तरहां ऐसा स्वप्न देखकर

ताकि मुझको मिलेगी तुमसे खुशी,
तुमसे रोशन होगा मेरा जहान,
गुलज़ार होगा तुमसे मेरा गुलशन,
और चमकेगा मेरे नसीब का सितारा,
इस तरहां ऐसा स्वप्न देखकर,
मैंने चाहा था तुझको।

मैंने सोचा था तू होगी बेदाग,
पवित्र होगी तुम्हारी आत्मा,
नहीं होगा तुझमें अभिमान,
होंगे तुझमें संस्कार सत्कार के,
होगी तुझमें भी कुछ मोहब्बत,
इस तरहां ऐसा स्वप्न देखकर,
मैंने की थी तुमसे मोहब्बत।

चुना था यह सफर मैंने,
दी थी तुमको इज्जत,
बसाया तुमको दिल में,
सजाया था तुमको काव्य में,
लिखी थी तुम पर एक कहानी,
कि तू निभायेगी अपनी वफ़ा
इस तरहां ऐसा स्वप्न देखकर,
लिया था तुमको अपनी बाँहों में।

मगर तू खामोश है मेरे दर्द पर,
और मिलाया है तुमने हाथ,
मेरे दुश्मनों से बेवफा होकर,
नहीं थी ऐसी उम्मीद तुमसे,
सोचा था कि तू बनेगी सच में ,
मेरी हमदर्द- हमसफर-हमराह,
इस तरहां ऐसा स्वप्न देखकर,
मैंने बनाया था तुमको अपना ख्वाब।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847

Language: Hindi
1 Like · 214 Views
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