इस घर में बसती है एक देवी
लौटकर आना था
मेरे द्वार तो फिर
मुझे तन्हा छोड़कर
कहीं चले क्यों गये थे
अब लगता है
उजड़ गया है तुम्हारा संसार तो
बहारों की ओर चले हो
ले आना साथ में
थोड़े से फूल
देवी के चरणों में चढ़ाने को
अब इस घर में कोई औरत
नहीं
बसती है एक देवी
घर के अहाते में बने
मंदिर के गुफा से दिखते
तहखाने में
एक दीया जलाकर
उस मंदिर की
देहरी पर
लौट जाना
जिस रास्ते से आये थे
इस मंदिर के पट के द्वार
तुम्हें कभी खुले नहीं मिलेंगे
यह घर छोड़कर जाते हुए
न जाने तुमने ही कौन से
ताले इसमें लगाये थे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001