इसका अंत कहा है
एक लालची किसान से कहा गया कि वह दिन मे जितनी जमीन पर चलेगा, वह उसकी हो जाएगी । बशर्ते वह सूरज डूबने तक शुरू करने की जगह पर वापस लौट आए ।ज्यादा से ज्यादा जमीन पाने के लिए वह किसान दूसरे दिन सूरज निकलने से पहले ही निकल पड़ा । वह काफी तेजी से चल रहा था क्योकि वह ज्यादा से ज्यादा जमीन हासिल करना चाहता था ।थकने के बावजूद वह सारी दोपहर चलता रहा, क्योंकि वह जिंदगी मे दौलत कमाने के लिए हासिल हुए उस मौके को नही गंवाना चाहता था । दिन ढलते वक्त उसे वह शर्त याद आई कि उसे सूरज डूबने से पहले शुरूआत की जगह पर पहुंचना है । अपनी लालच की वजह से उस जगह से काफ़ी दूर निकल आया था । वह वापस लौट पङा । सूरज डूबने का वक्त ज्यो -ज्यो करीब आता जा रहा था, वह उतनी ही तेजी से दौङता जा रहा था । वह बुरी तरह थककर हांफने लगा, फिर भी वह बर्दाश्त से अधिक तेजी से दौङता रहा । नतीजा यह हुआ कि सूरज डूबते -डूबते वह शुरूआत वाली जगह पर पहुंच तो गया, पर उसका दम निकल गया, और वह मर गया । उसको दफना दिया गया, और उसे दफन करने के लिए जमीन के बस एक छोटे से टुकड़े की ही जरूरत पड़ी ।
Rj Anand Prajapati