इश्क़ में क्या हार-जीत
दिल जीत कर भी हमको हार जाना पड़ा
उनकी मोहब्बत में नाम मेरा दीवाना पड़ा
आँखों ही आँखों से बयां सारा कुछ हुआ
ना उन्हे, ना हमे, कुछ भी समझाना पड़ा
वो पल, हर लम्हा, यादों की चुभ रही थी
पर तुम्हें ख़ुश देख ये दर्द सह-जाना पड़ा
सुना था हमने, इश्क़ बेवफ़ाई का नाम है
पर यक़ीन ना किये तो धोखा खाना पड़ा
प्यार में हार-जीत किसे बता रहे हो तुम
जी लेंगे हम पीछे यादों का जमाना पड़ा
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महमसुन्द (छःग)