इश्क मुकम्मल करके निकला
इश्क मुकम्मल करके निकला
आशिक ना वो हल्का निकला
आंधि-तूफान का रुख मोड़ा है
मोहब्बत में वो चलकर निकला!!
कवि दीपक सरल
इश्क मुकम्मल करके निकला
आशिक ना वो हल्का निकला
आंधि-तूफान का रुख मोड़ा है
मोहब्बत में वो चलकर निकला!!
कवि दीपक सरल