इश्क की तपिश
इश्क की तपिश
नागवारा गुजरा है दिल को मेरे,
तेरा किसी और के नजदीक हो जाना।
खयालों की गर्मी छू लेती है दिल को मेरे,
लाजमी है, सीने में तपिश का हो जाना।।
यहां बेरंग हर दिन हुआ है,
जिस्म चलाती यादों का ढेर लगा है।
क्योंकि कमबख्त इश्क हुआ है,
कराहती आंखों और रूहानी एहसासों का ढेर लगा है।।
लाख चाहूं भूलना तो भी,
तू ही तू नजर आता है।
दिल-ए-नादान खता यह तेरी,
बेबस धड़कनो में क्यु तू छिपा रहता है ?
हर लम्हा ख्वाबों का लिबास ओढ़े,
फिजा में खुशनुमा तराना आज भी जारी है
बेखयाली में खूबसूरत ख्याल ओढ़े,
रूबरू का सिलसिला आज भी जारी है।।
सीमा टेलर (छिम्पियान लम्बोर)