इश्क़ का फ़लसफ़ा
इश्क़ का फ़लसफ़ा
पूछे कोई तो बतलाएं।
वो मज़ा वस्ल में नहीं है
जो फ़िराक़ में है।।
प्रणय प्रभात
【आज इस मंच पर मेरे दो माह पूरे हुए हैं। इस अवधि में जितना लिखा है, उसमें आज से एक नया आयाम जुड़ गया है इस माध्यम से】
इश्क़ का फ़लसफ़ा
पूछे कोई तो बतलाएं।
वो मज़ा वस्ल में नहीं है
जो फ़िराक़ में है।।
प्रणय प्रभात
【आज इस मंच पर मेरे दो माह पूरे हुए हैं। इस अवधि में जितना लिखा है, उसमें आज से एक नया आयाम जुड़ गया है इस माध्यम से】