इशारा
अब अपनी शख्शियत को
एक गहरी बुनियाद दी जाए!
रूह तक पहुंचने के लिए
रूह से ही आवाज दी जाए!!
राजनेताओं की बकवास को
सुनने से तो बेहतर यही कि
पढ़ने के लिए लाइब्रेरी से
कोई अच्छी किताब ली जाए!!
आजकल एहतियातन मैं
उसका नाम लेने से बचता हूं!
झूठ-मूठ में क्यों आखिर
अपनी जुब़ान खराब की जाए!!
Shekhar Chandra Mitra