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19 Dec 2022 · 1 min read

*इमरती चखते-चखते (हास्य कुंडलिया)*

इमरती चखते-चखते (हास्य कुंडलिया)
_______________________________
चखते रसगुल्ला रहें , गरम जलेबी रोज
हलवा लड्डू नुकतियाँ ,मिष्ठान्नों के भोज
मिष्ठान्नों के भोज , खीर का भोग लगाएँ
मालपुए है चाह ,काश ! प्रतिदिन मिल जाएँ
कहते रवि कविराय ,यही इच्छा बस रखते
आए अंतिम साँस ,इमरती चखते – चखते
______________________________
रचयिता : रवि प्रकाश ,
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451

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