इनायत है, शनाशाई नहीं है।
इनायत है, शनाशाई नहीं है।
तेरी चाहत में, गहराई नहीं है।
भरम कायम है अब भी चाहतों का
अभी रिश्तों पे आँच आई नहीं है।
अभी कुछ और खेलो मेरे दिल से
अभी ज़ख्मों में गहराई नहीं है।
तबीयत ज़ब्त की आदी है अपनी
तभी आवाज़ भर्राई नहीं है।
बड़ी पुर-खार है राह-ए-तमन्ना
मुहब्बत फिर भी घबराई नहीं है।
कोई शाज़िश निहाँ है लाज़िमन ही
मसीहाई मसीहाई नहीं है।
अरे आज़ाद तू तो बोल खुलकर
तु शायर है तमाशाई नहीं है
मोईन अहमद आज़ाद