इतिहास के झरोखे
एक वो चरखा था,
बढा जिस पर आज, चस्पा है,
खटकता था, वो जिनको,
उनके मुँह पर तमाचा है
.
विरासत तेरी अशेष है,
भूल जाते लोग कभी के,
मर्यादा आपकी आज भी,
उतने ही चर्चित हैं.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस
एक वो चरखा था,
बढा जिस पर आज, चस्पा है,
खटकता था, वो जिनको,
उनके मुँह पर तमाचा है
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विरासत तेरी अशेष है,
भूल जाते लोग कभी के,
मर्यादा आपकी आज भी,
उतने ही चर्चित हैं.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस