इतिहास के आईने में
इतिहास के आईने में
तुम अभी तक
नहीं थके
कर-कर अत्याचार
कर-कर उत्पीड़न
बीत गए
हजारों वर्ष
बहुत हो चुका दमन
बहुत हो चुका अत्याचार
अब और नहीं
क्यों डरते हो
समता आने से
समय रहते
मान जाओ
नहीं तो
इतिहास के आईने में
देख-देख कर
करोगे अपमानित
महसूस
-विनोद सिल्ला®