इतनी सी बात पे
ख़फा हो गये वो, इतनी सी बात में।
देर हो गई थी,,क्यों मुलाकात में।
पायल कहीं भेद न खोल दे,
दबे पांव आई ,मैं रात में।
अब किस तरीके मनाऊ तुम्हे
क्या दूं तुम्हे मैं सौगात में।
मिन्नत करूँ या सर को झुकाऊँ
क्या करूँ ऐसे हालात में।
कदर करो मिले हैं हम जो तुम्हे
बंटते नहीं दिल ख़ैरात में।
सुरिंदर कौर