Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2022 · 1 min read

इच्छाओं का घर

इच्छाओं का अपना कोई
घर कहाँ होता है।

जब तक इच्छा हकीकत में न बदले
उसका वजूद कहाँ होता है।

जब तक तुम मेहनत न करो
मंजील तुम्हें कहाँ मिलता है।

सागर के किनारे बैठ जाने से
मोती कहाँ हमें मिलता है।

मोती लेना है अगर तुम्हें
सागर के तह तक जाना पड़ता है।

जब तक मोती न मिले
तब तक डुबकी लगाना पड़ता है।

चाहे जितना भी मुशिकल हो
कदम आगे बढ़ाना पड़ता है।

सिर्फ मन में इच्छा होने से
कहाँ मंजिल मिल पाता है।

जब तक इच्छा सफलता मे न बदले
कहाँ उसे घर मिल पाता है।

~अनामिका

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सिलसिला"
Dr. Kishan tandon kranti
वर्णमाला हिंदी grammer by abhijeet kumar मंडल(saifganj539 (
वर्णमाला हिंदी grammer by abhijeet kumar मंडल(saifganj539 (
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
दशरथ मांझी होती हैं चीटियाँ
दशरथ मांझी होती हैं चीटियाँ
Dr MusafiR BaithA
*जय माँ झंडेया वाली*
*जय माँ झंडेया वाली*
Poonam Matia
कैसे पाएं पार
कैसे पाएं पार
surenderpal vaidya
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
Vedha Singh
यादों की सुनवाई होगी
यादों की सुनवाई होगी
Shweta Soni
........,?
........,?
शेखर सिंह
प्रकृति
प्रकृति
Monika Verma
प्रेम पथ का एक रोड़ा✍️✍️
प्रेम पथ का एक रोड़ा✍️✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
मोबाइल
मोबाइल
Punam Pande
कौशल कविता का - कविता
कौशल कविता का - कविता
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
प्रकृति कि  प्रक्रिया
प्रकृति कि प्रक्रिया
Rituraj shivem verma
*हे महादेव आप दया के सागर है मैं विनती करती हूं कि मुझे क्षम
*हे महादेव आप दया के सागर है मैं विनती करती हूं कि मुझे क्षम
Shashi kala vyas
जिस तरह से बिना चाहे ग़म मिल जाते है
जिस तरह से बिना चाहे ग़म मिल जाते है
shabina. Naaz
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरी तो धड़कनें भी
मेरी तो धड़कनें भी
हिमांशु Kulshrestha
💐प्रेम कौतुक-260💐
💐प्रेम कौतुक-260💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
International Chess Day
International Chess Day
Tushar Jagawat
■ आज का क़तआ (मुक्तक)
■ आज का क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
आबाद सर ज़मीं ये, आबाद ही रहेगी ।
आबाद सर ज़मीं ये, आबाद ही रहेगी ।
Neelam Sharma
मौत की आड़ में
मौत की आड़ में
Dr fauzia Naseem shad
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
नरसिंह अवतार
नरसिंह अवतार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
संसार में सही रहन सहन कर्म भोग त्याग रख
संसार में सही रहन सहन कर्म भोग त्याग रख
पूर्वार्थ
श्रीजन के वास्ते आई है धरती पर वो नारी है।
श्रीजन के वास्ते आई है धरती पर वो नारी है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
2825. *पूर्णिका*
2825. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*मिलती जीवन में खुशी, रहते तब तक रंग (कुंडलिया)*
*मिलती जीवन में खुशी, रहते तब तक रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गुरुजन को अर्पण
गुरुजन को अर्पण
Rajni kapoor
Loading...