इक रोज़
इक रोज़ हम सभी
रुख्सत हो जाएंगे इस दुनिया से
और बचेगी सिर्फ़ हमारी और
तुम्हारी यादें ।
जैसे चाँद ने भी एक वादा किया था
की आऊंगा तुम्हारे पास एक दिन
और तुमनें भी कहा था ।
लेकिन लौट कर दोनों
कभी नही आये न
लेकिन जब तुम वापस आओगे
तो मुझें यकीन है
चांद भी तुम्हारे साथ है
तुम्हारे पलकों के पीछे
मुस्कुराता हुआ ।
और मैं सिर्फ़ तुम्हें ही देखता रहूंगा ।
मिलना बिछड़ना ये सब होना लाजिम है
लेकिन एक बार मिल कर बिछड़ना
बहुत दर्द देता है ।
और वो यादें हमेशा कही न कही
दफ़न हो जाती है जिन्हें कभी
हमनें कई रातें लगा दी थी पूरा करने में ।
ख्वाहिश बड़ी है तुम्हें अपने पास रखने की
लेकिन ख्वाहिश तो चांद की भी है ।
तो मुमकिन सिर्फ तुम ही हो
तो आ जाना मेरे पास हमेशा के लिए
ताकि चांद को निहार सके
हम और तुम साथ मिलकर ।
हसीब अनवर