=**इक दूजे के लिए **=
न उनके बिन कोई जिन्दगी है तुम्हारी,
न बिन तुम्हारे कहीं उनका गुजारा।
तुम नहीं है तो उनकी हर रात अंधेरी,
सूना-सूना सा लगे उन्हें हरेक सवेरा।
बिना उनके न वजूद अब तुम्हारा,
तुम्हारे बगैर उनका अस्तित्व नकारा।
तुम्हारी आत्मा उनमें ही है बसती,
बिना उनके न तुम्हारी कोई हस्ती।
उनके ह्रदय की धड़कन हो तुम यारा,
साथ तुम्हारा उन्हें प्राणों से भी प्यारा।
उनकी मन वीणा की तुम सरगम,
वो है वह गीत जिस का हो सुर तुम।
न तुम बिन उनका कोई तीरा,
न उनके बिन तुम्हारा कोई किनारा।
बताए कोई यह अनबूझी पहेली,
कर रहे हैं हम किसकी तरफ इशारा ।
कोई बताए क्या है ये रिश्ता निराला,
इक अटूट बंधन में बंधा है।
तुम्हारा और उनका ये नाता न्यारा,
ईश्वर ने ही जिन्हें किया एकाकार।
सुखी दाम्पत्य की है यही पूंजी,
यह है पति-पत्नी का रिश्ता प्यारा ।
हो नोंक-झोंक या हो प्यार की झिड़की,
अमूल्य है साथ में जो भी वक्त गुजारा।
——रंजना माथुर दिनांक 13/07/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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