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23 Aug 2024 · 1 min read

इंसान को पहले इंसान बनाएं

चलो कोई ऐसा मज़हब बनाएं,
इंसान को पहले इंसान बनाएं।

आग है बह रही गंगा और झेलम में
बोलो कैसे किसी नदी में नहाएं।

खुशबू से महक उठे पड़ोसी का घर भी
आओ ऐसा फूल मिलकर खिलाएं ।

प्यार मोहब्बत कहां गई दिलों से,
ये समझने के लिए अंधेरों में कुछ दीप जलाएं।

तेरी दुख तकलीफ़ का ऐसा असर हो दोस्तों पर,
अगर तू भूखा हो तो कोई एक निवाला न खाएं।

जिस्म तो मिट्टी में ही मिल जायेगा इक दिन,
फिर क्यों किसी से इतना वैर बढ़ाएं।

आओ हो जाएं सब एक साथ हम,
हिंदुस्तान को सबके रहने के काबिल बनाएं।

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