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1 Sep 2021 · 1 min read

इंसान कहां है?

राम-रहीम तो
ठीक है लेकिन
काम कहां है?
हमारे खून
और पसीने का
दाम कहां है?
तुम बाभन,
मैं दलित,
यह आदिवासी,
वह पिछड़ा
इस जाति-वर्ण की
भीड़ में
इंसान कहां है?
Shekhar Chandra Mitra

Language: Hindi
1 Like · 474 Views
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