श्वान प्रेम
इंसानों की क़दर खतम हुई,
कुत्तों के जागे हैं भाग्य।
मनुज बेचारा भटक रहा है
दाने दाने को मोहताज।
दो पैसे मिल जाएं जैसे,
स्तर ऊंचा करना होता।
कुछ भी चाहे बाद में आये
लेकिन कुत्ता बगल में सोता।
बेटा भूखा रहे भले ही
लेकिन कुत्ता न मुरझाये।
बड़े माल से बिस्कुट बोटी
आधी रात को लायी जाये।
दो पायों के ऊपर देखो
चौपाये हैं कितने भारी।
अम्मा घर बैठी कुमलायें
कुकुर कार में करे सवारी।
बड़ी शान लोग बताते
श्वानों की प्रजाति।
उनके नाम सुनो हे लोगों
जिनकी इतनी ख्याति।
लेब्राडोर, बुलडॉग कहो व
गोल्डन रिट्रीयर।
जर्मनशैफर्ड, पग व बीगल
अथवा यार्कशायर टेरियर।
पिटबुल,राटबेल्लर,
डाबरमैन पिंसीवर।
बुलमास्टिक,हस्की,
मालामियूट, बॉक्सर।
वुल्फहाइब्रिड लंबा चौड़ा
दूजा इक ग्रेटडेन।
इन सबके ऊपर है मोहित
देखो आज का मैन।
कई हजारा कीमत इनकी,
खूब हैं ठाठ और बाट,
सोफासेट में टॉमी सोये
बप्पा टूटी खाट।
हम तो अहमक केवल जानू
गांव के पिलई पिलुआ
पकड़ लिया द्वारे पाला
नाम धराया कलुआ।
एक टुकड़ा रोटी खाता
पीता ताल का पानी।
रात दिवस घर द्वार रखाता
न करता शैतानी।
लोगों सुनों जहाँ है आशा,
वहीं मिलेगी वासा।
अगला जनम है मिलेगा वैसे,
जहां मन लगे खासा।
नेह लगा है जिन जीवों से
बिल्ली बदंर श्वान।
अगला जनम वहीं पाऐगें,
कह गए संत सुजान।
गाय भैस हैं दूध के हरहे,
खर, घोड़ा, ढोयें भार।
कुत्ता भी तो एक जानवर,
फिर क्यों इतना प्यार।
सतीश सृजन लखनऊ.