इंकलाबी शायर
देश के मौजूदा
हालात पर
तू सचमुच अगर
शर्मिंदा है तो!
कोई रेंगने वाला
कीड़ा नहीं,
तू एक आज़ाद
परिंदा है तो!!
मज़हब का
पर्दाफाश और
सियासत को
बेनकाब कर!
तेरी गैरत अगर
मरी नहीं और
तेरा ज़मीर अगर
ज़िंदा है तो!!
देश के मौजूदा
हालात पर
तू सचमुच अगर
शर्मिंदा है तो!
कोई रेंगने वाला
कीड़ा नहीं,
तू एक आज़ाद
परिंदा है तो!!
मज़हब का
पर्दाफाश और
सियासत को
बेनकाब कर!
तेरी गैरत अगर
मरी नहीं और
तेरा ज़मीर अगर
ज़िंदा है तो!!