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29 May 2023 · 1 min read

आ जाओ घर साजना

बिन साजन सुना लगे, ये मेरा घर-द्वार।
आ जाओ घर साजना, कब से पंथ निहार।।

सहना है मुश्किल बहुत, तेज विरह की डंक।
रही प्राण तन से निकल, प्रिय भर लो अब अंक।।

कह दे तुमको बेवफा, मुझे नहीं मंजूर।
मैने सोचा ही नहीं, होंगे तुम से दूर।।

नित्य अश्रु बहते नयन,प्रिये प्रणय की प्यास।
तरस रही तेरे लिए,मधुर मिलन की आस।।

बारिश चाहूँ नेह की, अब कर दो बरसात।
करो नहीं अब, देर प्रिय,मानो मेरी बात।।

बाट जोहते जोहते, लगा गले में फाँस।
किये देर जो अब प्रिये,फिर टूटेगी साँस।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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